भोपाल, मध्य केसरी डेस्क। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को शांत हुए 3 महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, बावजूद उसके भोपाल सहित पूरे मध्यप्रदेश में ब्लैक फंगस के 52 मरीज एक्टिव हैं। यह तब है जब सरकार का दावा है कि सभी ब्लैक फंगस के मरीज का इलाज निशुल्क किया जा रहा है और सभी दवाइयां व जरूर इंजेक्शन मुफ्त दिए जा रहे हैं। जबकि हकीकत इसके विपरीत है। सरकारी अस्पतालों में अब इस बीमारी को लेकर कोई विशेष इंतजाम नहीं है।
आपको बता दें कि भोपाल में 6 अप्रैल को ब्लैक फंगस का पहला मरीज मिला था। हालांकि मई के बाद ही दूसरी लहर कमजोर पड़ने से कोरोना के मामले कम होने लगे। करीब 3 महीने बीतने के बाद भी प्रदेश में 52 ऐसे मरीज हैं जो ब्लैक फंगस के संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की मानें तो ब्लैक फंगस के अब तक 212 मरीज की मौत हो चुकी है। यह जानकारी गुरुवार को हुए कोविड-19 और म्यूकोरमाइक्रोसिस के रिव्यु में सामने आई है।
म्यूकोरमाइक्रोसिस के आंकड़े
कुल मरीज मिले - 2726
डिस्चार्ज हुए -2323
मरीजों की मौत - 212
एक्टिव केस - 52
भोपाल में कोरोना के 47 एक्टिव केस
त्योहारी सीजन के चलते भोपाल में कोरोना के मरीजों की संख्या मामूली सा इजाफा देखा जा रहा है। अक्टूबर में औसतन हर रोज 4 मरीज इस बीमारी का शिकार हुए हैं। बुधवार को भी भोपाल में 5 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इन्हें मिलाकर अब शहर में 45 लोग एक्टिव केस में शामिल हो चुके हैं। हालांकि इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि सभी लोग सामान्य स्थिति में है। सब का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। अधिकतर एक्टिव केस होम आइसोलेशन में है, जिस कारण शहर के सभी बड़ी अस्पतालों में भी कोई मरीज भर्ती नहीं है।