भोपाल, मध्य केसरी डेस्क। राज्य सरकार नशे के खिलाफ अभियान चलाकर लोगों से शराब छोड़ने की अपील करती है। मंच से नेता से लेकर बड़े अफसर तक यही कहते नहीं थकते की शराब की लत बुरी है, इसका सेवन कम करना चाहिए। दूसरी ओर मध्य प्रदेश में शराब की खपत 20 फीसदी बढ़ाने के लिए प्रमुख सचिव वाणिज्य कर दीपाली रस्तोगी ने मंगलवार को दोपहर 12:00 बजे आबकारी आयुक्त व सभी उपायुक्तों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक बुलाई है। जिसमें शराब की बिक्री को बढ़ाने के लिए चर्चा की जाएगी। शायद प्रदेश में पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस तरह की बैठक हो रही है, जिसमें शराब की खपत बढ़ाने पर चर्चा होगी।
जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में प्रति वर्ष 10 हजार करोड रुपए से अधिक की राशि शराब से ड्यूटी के रूप में मिलती है। यानी हर रोज लगभग 30 करोड़ की शराब प्रदेश में लोग पी जाते हैं। लेकिन कोरोना के बाद से लगातार शराब पीने वालों की संख्या में कमी आ रही है। इसके पीछे कई तर्क दिए जा रहे हैं। आपकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निजी क्षेत्र में काम करने वाले हजारों युवाओं की नौकरी छूट गई है, अथवा वेतन कम हो गया है। जिससे युवकों ने या तो शराब पीना बंद कर दी है या कम कर दिया है। शादी ब्याह में बड़े-बड़े आयोजन भी नहीं हुए, अधिकांश कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम में कार्य कर रहे हैं जिससे घर से बाहर नहीं निकलते। छात्रों की भी ऑनलाइन पढ़ाई होने से बाहर नहीं निकल रहे हैं इसमें बीयर की खपत पर असर पड़ा है। मजदूरों को भी अब उतनी मजदूरी नहीं मिल रही जितनी कोरोना से पहले मिलती थी, इससे शराब की खपत लगातार कम हो रही है।
नकली शराब का चलन बढ़ा
मध्यप्रदेश में शराब पड़ोसी राज्यों के मुताबिक महंगी है। यह टेक्स बहुत अधिक है। इस कारण ठेकेदार 100 फ़ीसदी शराब की ड्यूटी तो जमा कर देते हैं लेकिन शराब उठाते नहीं हैं। शराब ना उठाने के कारण बिक्री ना होना है। शराब महंगी होने के कारण प्रदेश में नकली शराब का भी चलन बढ़ा है। नकली शराब पीने के कारण उज्जैन, मुरैना, इंदौर और मंदसौर में लोगों की मौत भी हो चुकी है। नकली शराब पीने से हुई मौतों की जांच के लिए राज्य सरकार ने अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन कर जांच कराई थी। डॉ. राजोरा ने उज्जैन और मुरैना में जहरीली शराब पीने से हुई मौतों की विस्तृत रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में कई सुझाव भी दिए गए थे, जिनके पालन हेतु आज तक निर्देश जारी नहीं हुए। जिससे लुके छिपे अभी भी कई क्षेत्रों में अवैध शराब बिक रही है।
विदेशी मदिरा भंडार कार्य निजी क्षेत्रों को देने की तैयारी
लगभग 3 माह बाद फॉरेन लिकर के भंडारण का कार्य निजी क्षेत्रों को देने का जिम्मा फिर बाहर आ गया है। मंगलवार को अपहरण 4:00 बजे प्रदेश में संचालित शासकीय विदेशी मदिरा भंडार ग्रह की निजी क्षेत्र में देने के लिए गठित समिति की बैठक बुलाई गई है। अपर आबकारी आयुक्त आशीष भार्गव की अध्यक्षता में गठित समिति इस बात पर विचार करेगी कि किस तरह आय में वृद्धि की जाए या निजी क्षेत्र को देने से सरकार की आय में वृद्धि हो सकती है। वर्तमान में प्रदेश में 15 शासकीय मदिरा भंडार ग्रह है, जिसमें शराब रखी जाती है और सरकार को इसका किराया मिलता है। सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में एनसीआर में शराब के बड़े कारोबारी पोंटी चड्ढा की इस पर नजर है। चड्ढा व उनके लोगों ने कई माह से प्रदेश में सक्रियता बढ़ा दी है।
यह बोले नरेंद्र सलूजा
उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा कि, सरकार का यह कदम बेहद आपत्तिजनक है। शराब की खपत बढ़ाने हेतु बुलाई गई बैठक तत्काल निरस्त करनी चाहिए।