शोभना तिवारी, (स्वतंत्र पत्रकार एवं वरिष्ठ समाज सेविका)
कोरोना महामारी के प्रभाव ने जीवनशैली में आमूल-चूल परिवर्तन ला दिए है। हर युद्ध, महामारी, प्राकृतिक आपदाएं जीवनशैली पर दुष्प्रभाव डालते हैं। भारत की जीवनशैली गतिशील और परिवर्तनशील होने के साथ स्वास्थ्यप्रद रही है, उसमें गजब की रूपातंरण शक्ति है। वह समय, काल परिस्थिति के अनुरूप जीवनशैली में परिवर्तन कर लेती है। भारत ने हमेशा से ही विषम परिस्थितियों का धैर्यपूर्ण, पूर्ण मनोबल और एकजुटता से सामना किया है। जब भी ऐसी कठिन परिस्थिति आती है तो हमारा पूरा परिवार एकजुटता से उसका सामना करता है और उसे परास्त भी करता है। आज कोरोना महामारी सृष्टि के इतिहास की सबसे भीषणतम एवं जानलेवा चुनौती है। हमने अब तक लगभग 3 लाख लोगों को खो दिया है और पीडि़तों की संख्या करोड़ों में हैं। अभी तो कोरोना की दूसरी लहर का चरम ही चल रहा है और तीसरी लहर के आने की और उसके ज्यादा विध्वंसक होने की बात की जा रही है। कोरोना वायरस लगातार अपनी संरचना में परिवर्तन कर रहा है और उसके नए वेरिएंट भी आने वाले हैं। तीसरी लहर में सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि वह बच्चों को भी अपनी चपेट में ले लेगा। बच्चों के लिए अभी तक भारत में वैक्सीन भी नहीं आई है। वैज्ञानिक, कोरोना के बदलते स्वरूप को समझने के लिए गहन अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन संभावित खतरों एवं संकटों को देखते हुए आम इंसान को भी अपनी जीवनशैली को कोरोना संक्रमण के हिसाब से ठालना होगा।
हमें आपस में शारीरिक दूरी बरतना होगा, मॉस्क का उपयोग लगातार करना होगा, बार-बार हाथ धोना होगा, मनोबल बनाए रखना, खान पान की शुद्धि और पौष्टिकता, ध्यान एवं आध्यातम जीवन और सबसे महत्वपूर्ण बात की बारी आने पर टीकाकरण जरूर करवाना। बाजार, शापिंग मॉल और पर्यटन स्थल आदि से बचना होगा, अन्यथा दूसरी लहर की तरह ही तीसरी लहर भी देश को भारी कीमत चुकानी होगी।
जब पिछले वर्ष पहला लॉकडाउन लगा था, तो कोरोना के डर से हमने अपने स्वास्थ्य का, अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का, प्रणायाम करने का और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता गया हमारी दिनचर्या पहले से कहीं ज्यादा अस्त-व्यक्त हो गई। लॉकडाउन में घर पर ही रहना है, इसलिए न सोने का समय तय है और ना ही खाने का है। ऐसे में हमने कई गलत आदतों को भी अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है, जिससे हमारे शरीर पर भी विपरीत असर हो रहा है। हमें यह सोचना होगा कि जब जिन्दगी फिर से सामान्य होंगी, तब हमें इन सभी पहलुओं को लेकर दिक्कत होगी। इसलिए हमें अभी से अपनी दिनचर्या को सुधारने की कोशिश करनी होगी और वैसी ही जीवनशैली रखे जैसी पहले हुआ करती थी।
घर में रहने के साथ-साथ मोबाइल को दुनिया में हमारी उपस्थिति बढ़ी है, सोशल मीडिया, वीडियो गेम्स, चैंटिंग इंटरनेट का इस्तेमाल हम ज्यादा करने लगे हैं। ओटीटी प्लेटफार्म का इस्तेमाल भी बढ़ा है। इसका नतीजा हमारी आंखों को हो रहा नुकसान के साथ, नींद में कमी आना, सिर में भारीपन रहना है। काम करने के दौरान भी हमारा आधा ध्यान मोबाइल पर ही रहता है। मोबाइल पर बढ़ती निर्भरता से हमारी काम करने की क्षमता भी कम हो रही है।
फिलहाल घर पर है तो ज्यादा परेशानी नहीं है, परन्तु जब सब सामान्य होगा तब हमारी यह आदत परेशानी का सबब बनेगी। इस आदत को दुरूस्त करने के लिए सबसे पहले हमें मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा और मोबाइल का इस्तेमाल कम करने के लिए तैयार होना होगा। सबसे पहले मोबाइल के सभी ऐप नोटिफिकेशन बंद कर दे। बार-बार नोटिफिकेशन आएंगे आप खोल कर भी देखेंगे। इंटरनेट डाटा भी तब तक बंद रखें जब तक उसकी जरूरत न हो। सुबह के समय फोन को अपने से दूर रखे। इसके लिए आपको अपने पर नियंत्रण रखना होगा, तभी मोबाइल की लत दूर होगी।
कोरोना काल और लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर हमारी दिनचर्चा पर पड़ा है। सब घर पर है इसलिए रात को देर तक टीवी देखना मोबाइल चलना आदत में शामिल हो गया है। अब तो अगर आप रात को जल्दी सोने की अब कोशिश करेंगे तो नींद नहीं आएगी। देर से सोएंगे तो देर से जागेंगे भी। इस कारण हमारे नाश्ते का समय भी निकल जाता है। शरीर को स्वस्थ रखने के सुबह का नाश्ता बहुत जरूरी होता। अगर इन आदतों को भी अभी संभाला नहीं गया तो आगे चलकर बहुत दिक्कत होगी। अगर इस आदत को दूर करना है तो सुबह 5-6 बजे तक बिस्तर छोड़ दें। सुबह के नाश्ते की अवहेलना न करें। नाश्ते में तला-गला खाने के बजाए पौष्टिक आहार ले। दोपहर का भोजन भी 12 से 1 बजे के अंतराल में ही ले। अगर दोपहर में सोने की आदत है तो तुरंत खाने के बाद न सोएं, इससे गैस भी बनती है और आलस भी बढ़ता है। अगर कामकाजी है तो दोपहर में सोने की आदत को अभी से ही अलविदा कर दे। यही बात रात के खाने के बाद भी लागू होती हे। रात का भोजन भी आठ बजे तक कर ले और लगभग 20 मिनिट टहले। खाने के बाद तुरंत न सोएं लगभग 10 बजे तक ही सोने जाए। एक वयस्क को 7 से 8 घंटे की नींद पर्याप्त है। ऐसा करने से आपकी दिनचर्या सुधरेगी और जीवन सामान्य होने के बाद भी दिक्कत नहीं आएगी।
पिछले वर्ष जब लाकडॉउन शुरू हुआ था तो हमने तय किया था कि रोज व्यायाम करेंगे, लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरता गया, वो धीरे-धीरे कम होता गया। और अब तो हम शारीरिक व्यायाम को भूल ही गए है।
इससे लोगों का वजन भी बढ़ने लगा है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण होने पर मोटे लोगों को खतरा बढ़ जाता है। कोरोना के कारण जिम, योगा क्लासेस, स्टेडियम और स्विमिंग पूल बंद है, इसलिए लोगों को घर पर कैद होकर अकेले व्यायाम करना आलस भरा काम लगता है। ऐसे में अपनी इस आदत को भी जल्द बदलना होगा। सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करना सबसे फायदेमंद रहता है इस समय सुबह के समय कई ऑनलाईन योगा और व्यायाम क्लॉसेस चल रही है। उनका समय तय रहता है, इसलिए अपको न चाहते हुए भी जल्दी उठना होगा। शाम के समय हल्के व्यायाम करें। अगर घर में ही व्यायाम करना पड़ रहा है, तो एक ही जगह पर खड़े होकर दौड़ लगाए, रस्सी कूड़े, दंड-बैठक, पुशअप्स और तेजी से सीढिय़ा चढऩा उतरना भी कर सकते है। अपने फैंफड़ोंं को मजबूत करने के लिए प्राणायाम जरूर करें। ध्यान रखें कि डॉयबिटिज और दिल की बीमारी, जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है। अगर स्वस्थ जीवनशैली रखेंगे तो इन दोनों बीमारियों से बचा जा सकता है।
कोरोना और लॉकडाउन ने लोगों का मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है। दिन भर घर में बंद रहना, कोरोबार का बंद होना, नौकरी पर खतरा मंडराना, बढ़ती बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई लोगों का तनाव बढ़ा रही है। इसके अलावा दिन भर में नकारात्मक खबरें देखना, अपने परिचितों के बिछडऩे का गम लोगों के तनाव में वृद्धि कर रहे है। तनाव मनुष्य के स्वास्थ्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। एक साथ रहने के कारण पारिवारिक रिश्तों में भी कड़वाहट आ रही है और गुस्सा एवं झुझलाहट घर में लोगों पर ही निकल रही है। ऐसे में अपने आप को मानसिक शांति देने के लिए कुछ प्रयास करने होंगे। सबसे पहले ध्यान लगाना सीखें। डीप ब्रीडिंग व्यायाम करें, मधुर संगीत सुने, कुछ अच्छा साहित्य चुने और अपनी रूची का कार्य करे, जैसे बगीचे में काम करना, चित्र बनाना नए-नए व्यंजन बनाना इत्यादि। लोगों की मदद करना, जानवरों को खाना खिलाना जैसे कार्यों से भी आपका मन प्रसन्न होगा। कोई पसंद का धार्मिक ग्रंथ भी पढ़ सकते है। इस समय कई ऑनलाईन क्लासेस भी चल रही है ऐसे में आप खाली समय का सदउपयोग करते हुए नई चीजें भी सीख सकते है। अगर घर में छोटे बच्चे है तो उनके साथ समय बिताएं। अपने सहपाठी का घर के कार्य में हाथ बटाएं और पूरे परिवार के साथ बैठकर भोजन का आनंद उठाएं।
हमें यह समझना होगा कि यह पूरे विश्व के लिए कठिन समय है। बुरा वक्त हमेशा नहीं रहता है, ये समय भी निकल जाएगा, बस जरूरत है धैर्य, सावधानी और हिम्मत से इसका सामना करने की, आखिर ‘जान है तो जान है।’