@SUNNY MALVIYA
भोपाल। बेहतर जिंदगी की आस लिए अपने गांव-घरों से निकले प्रवासी मजदूर मीलों दूर देश के विभिन्न राज्यों में छोटे-बड़े रोजगार धंधों में लगे हुए थे लेकिन कोरोना महामारी फैलने के कारण अब वे लॉकडाउन में जहां-तहां फंस गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र ने लॉकडाउन पार्ट-2 की अवधि 3 मई तक कर दी है ओर प्रवासी मजदूर अब घर जाने के लिए लॉक डाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। एमपी की राजधानी भोपाल के कोटरा चोपड़ा गांव के रहने वाले 30-40 मजदूर लॉक डाउन के कारण बीते एक महीने से चित्तौड़ में फंसे हुए हैं।
सोशल मीडिया पर वीडियो डाला, मांगी मदद
पीड़ित मजदूरों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है। वीडियो के माध्यम से अपनी परेशानी बताते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उन्हें अपने शहर वापस लाने की मांग की है। मजदूरों के मुताबिक कंपनी उनको राशन तो दे रही है ,लेकिन चूल्हा जलाने के लिए कुछ नहीं दे रही , ऐसे में भोजन कैसे पके। इसके साथ ही पिछले एक महीने से उनको कंपनी ने पैसे भी नहीं दिए , यह मजदूर भोपाल की बैरसिया तहसील के कोटरा चोपड़ा गांव के रहने वाले हैं। चित्तौड़ की एक कंपनी में मज़दूरी काम कर कर रहे मजदूरों के साथ उनका परिवार और छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। बैरसिया तहसील के 213 मजदूर देश के अलग-अलग प्रदेशों में लाक डाउन के समय से फंसे हुए हैं।
सीएम ने की थी मजदूरों को राहत देन की मांग
बीते दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि मध्यप्रदेश के कई मजदूर बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं। हमने दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर उनके आवास/भोजन की व्यवस्था करने के लिए कहा है। हम उनकी आवश्यकता को पूरी करने के लिए उनके खाते में 1000 रुपए डालेंगे। वो जहां हैं वहां से ये पैसा निकाल पाएंगे। सीएम ने कहा जितने राशन कार्ड धारी हैं उनको इस महीने से हम दो-दो महीने का राशन निःशुल्क देने की तैयारी कर रहे हैं-प्रतिव्यक्ति 5 किलो चावल या गेहूं और 1 किलो दाल का प्रबंध किया जाएगा। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है वो भी अगर कहीं फंसे हैं तो उनके लिए भी राशन की व्यवस्था की जाएगी।