भोपाल, मध्य केसरी डेस्क। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) के बतौर केंद्रीय मंत्री (Cabinet Minister) शपथ लेते ही ग्वालियर का सिंधिया राजघराना (Scindia Royal Family) एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। इधर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के मंत्री के रूप में कार्य संभाला उधर लोगों के मन में उनके पिता माधवराव सिंधिया (Madhavarav Scindia) की यादें ताजा हो गई।
पिता से बेटे को जोड कर देख रहे लोग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया है। 1991 की पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में यह मंत्रालय ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया संभाला करते थे। यही वजह है कि आज लोग बेटे को पिता के साथ जोड़कर देख रहे हैं, और बातों बातों में वह बातें भी सामने आ रही है जिसके मुख्य किरदारों में माधवराव सिंधिया के साथ-साथ देश के दो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी शामिल है। क्या है यह दास्तान आइए जानते हैं...
राजीव गांधी के इर्द-गिर्द भी ना फटक पाते माधवराव
हर कोई जानता है कि ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे। लेकिन कम ही लोगों को यह बात मालूम है कि राजीव कैबिनेट में रेल मंत्री बने माधवराव कभी राजीव गांधी के इर्द-गिर्द भी ना फटक पाते अगर उन्होंने अपनी मां और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बात मानी होती। कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने अपने बेटे राजीव गांधी को यही सलाह दी थी। पत्रकार राशिद किदवई ने अपनी किताब "Neta Abhineta" A Bollywood Star Power In Indian Politics में इस वाकये के बारे में बताया है।
राजीव तुम यह दो काम बिल्कुल मत करना....
किदवई ने दिवंगत कांग्रेस नेता और गांधी परिवार के बेहद करीबी रहे माखनलाल फोटेदार के हवाले से यह खुलासा किया है। उनके मुताबिक 31 अक्टूबर 1984 को अपनी हत्या से कुछ दिन पहले ही इंदिरा ने अपने बेटे राजीव और अरुण नेहरू को बुलाया। राजीव उस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव थे और अरुण नेहरू ताकतवर कांग्रेसी नेता। किदवई के मुताबिक इंदिरा ने बातचीत के दौरान राजीव से कहा कि, "तुम दो काम बिल्कुल मत करना… पहला अमिताभ बच्चन को कभी चुनावी राजनीति में मत लाना… दूसरा यदि तुम कभी प्रधानमंत्री बने तो माधवराव सिंधिया को अपने कैबिनेट में मंत्री मत बनाना…"
फोटेदार ने अपनी आत्मकथा में किया है इसका जिक्र
माखनलाल फोटेदार ने अपनी आत्मकथा में भी इस वाक्य का जिक्र किया है, लेकिन उन्होंने इसके पक्ष में कोई सबूत पेश नहीं किए। फोटेदार ने कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी से प्रभावित होकर यह बात लिखी या वास्तव में हुआ था इस बारे में दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि राजीव गांधी ने इन दोनों में से कोई सलाह नहीं मानी।
माधवराव ने लोगों को अपना मुरीद बना लिया था
चुनाव के बाद जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने माधवराव सिंधिया को रेल मंत्री बनाकर एक अहम मंत्रालय की जिम्मेदारी दे दी। यहीं से माधवराव सिंधिया की पूरे देश में लोकप्रियता बढ़ने लगी। उन्होंने शताब्दी एक्सप्रेस जैसी तेज रफ्तार वाली ट्रेनें और कंप्यूटराइज टिकट प्रणाली की शुरुआत कर मध्यम वर्ग के लोगों को अपना मुरीद बना लिया। आज उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी उनके प्रशंसक वही करिश्माई प्रदर्शन की उम्मीद जता रहे हैं।
प्रियंका ने सिंधिया पर लगाए थे आरोप
हालांकि यह बात अलग है कि महाराज के नाम से मशहूर ज्योतिरादित्य सिंधिया नाराज होकर ही कांग्रेस की युवा नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शिवसेना का दामन थाम लिया था। उस वक्त प्रियंका ने महाराज पर मथुरा में उनके साथ हुई बदसलूकी के जिम्मेदार कांग्रेसियों को बचाने का आरोप लगाया था।